वृक्ष हों भले खड़े, अग्निपथ कविता / हरिवंश राय बच्चन Motivational Poem

श्री हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद के एक छोटे से गाँव बाबूपट्टी में हुआ था। हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन" जी हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। हरिवंश राय बच्चन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में प्राध्यापक रहे। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। हरिवंश राय बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। हरिवंश राय बच्चन की कविता अग्निपथ में कवि ने हमें यह संदेश दिया है कि जीवन संघर्ष का ही नाम है। कभी थमना नहीं बल्कि आगे बढ़ते रहना और  संघर्षों, कठिनाइयो का सामना करते हुए परिश्रम से सफलता प्राप्त करने की सिख देती है। 

वृक्ष हों भले खड़े - हिंदी लिरिक्स

वृक्ष हों भले खड़े,
हों बड़े, हों घने,
एक पत्र छाँह भी
मांग मत! मांग मत! मांग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
यह महान दृश्य है,
देख रहा मनुष्य है,
अश्रु, स्वेद, रक्त से
लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

-श्री हरिवंशराय बच्चन
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Vriksh Ho Bhale Khade Hindi image

Vriksh Ho Bhale Khade - English Lyrics 

Vriksh hon bhale khade,
Hon ghane, hoh bade,
Ek patra chhah bhi
Maang mat! Maang mat! Maang mat!
Agneepath! Agneepath! Agneepath!

Tu na thakega kabhi,
Tu na thamega kabhi,
Tu na mudega kabhi,
Kar shapath! Kar shapath! Kar shapath!
Agneepath! Agneepath! Agneepath!

Yeh mahaan drishya hai,
Chal raha manushya hai
Ashru, swed, rakt se
Lath-path, lath-path, lath-path,
Agneepath! Agneepath! Agneepath!
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Vriksh Ho Bhale Khade English Image

Agneepath Poem English Translation

Even if there are mighty trees all around you,
Let them be shady, let them be huge,
But, even for the shade of a single leaf,
Beg not, beg never, ask never!
The path of fire you shall tread! 
The path of fire! Yes, That Path of Fire!

You shall never tire,
You shall never slow down,
You shall never turn back,
This oath you will take today!
This oath you will fulfil in your life!
Take this oath!
And walk the Path of Fire, every single day!
The oath of fire! Yes, That Path of Fire!

What greater spectacle,
Then to see such a man walk,
Who in tears, sweat and blood,
Is soaked, covered and coated;
And still walks on in the Path of fire!
Walks the path of fire! Yes, That Path of Fire!
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